विदेशी यात्रियों के विवरण
भारत आने वाले विदेशी यात्रियों एवं लेखकों के विवरण से भी हमें भारतीय इतिहास जानने में सहायता मिलती है , जिनमें अनेक यूनानी , रोमन , अरनी और चीनी यात्री सम्मिलित हैं ।
यूनानी – रोमन (परम्परागत) लेखक –
भारतीय स्रोत से सिकन्दर के आक्रमण (325 ई.पू.) की कोई जानकारी नहीं मिलती इसके लिए यूनानी स्रोतों पर ही आश्रित रहना पड़ता है। सिकन्दर महान के आक्रमण के समय समकालीन भारतीय राजा ‘ सैण्डोकोट्टस का नामोल्लेख यूनानी लेखकों स्ट्रैबो एवं जस्टिन ने किया है, विलियम जोंस ने जिसकी पहचान चन्द्रगुप्त मौर्य के रूप में की।
एरियन तथा प्लूटार्क ने उसे एण्डोकोट्टस तथा फिलार्कस ने ‘ सैण्डाकोट्टस ‘ के से उल्लिखित किया है।
स्टैलो , डायोडोरस , प्लिनी और एरियन नामक यूनानी विद्वान क्लासिकल ‘ लेखक के रूप में जाने जाते हैं। देसियस : ईशनी राजवैद्य , जिसने मात्र ईरानी अधिकारयों से ही भारत विषयक ज्ञान प्राप्त करके अपना विवरण लिखा था।
हेरोडोटस -: ‘ इतिहास का पिता ‘ कहलाने वाले हेरोडोटस ने अपने ग्रंथ ‘ हिस्टरिका पाँचवीं शताब्दी ई.पू. के भारत – फारस सम्बन्ध का वर्णन अनुश्रुतियों के आधार पर किया नियास आनेसिक्रिटस एवं आरिस्टोवुलस सिकन्दर के साथ भारत आने वाले इन लेखकों के विवरण अधिक प्रामाणिक जिनका उद्देश्य अपने देशवासियों को भारतीयों के विण में बताना था ।
मेग्स्ठ्नीज सेल्युकस निकेटर ‘ के राजदूत के रूप में चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में 14 वर्षों तक रहा । अपनी पुस्तक ‘ इण्डिका ‘ में मौर्य युगीन समाज संस्कृति के बारे में लिखा , लेकिन ‘ इण्डिका ‘ अब उपलब्ध नहीं है , इसके सम्बन्ध में जानकारी उत्तर कालीन यूनानी लेखकों के उद्धरण के रूप में प्राप्त होती है ।
प्लिनी पुस्तक नेचुरल हिस्टोरिका ( ईसा को प्रश्न सदी ) : यह लैटिन भाषा में है , जिसमें भारत एवं इटली के मध्य होने वाले व्यापार त्या भारतीय पशुओं , वनस्पतियों , खनिजों का विवरण है| प्लिनी रोम से भारत आने वाले धन के लिए दुक प्रकट किया है ।
चीनी लेखक –भारत आने वाले अधिकांश चीनी यात्री बौद्ध तीर्थस्थान तथा बौद्ध धर्म के विषय में ज्ञान प्राप्त करने आये थे । इनमें प्रमुख हैं-
1. फाह्याम- यह चीनी यात्री गुप्त नरेश चंद्रगुप्त द्वितीय क्रमादित्य ( 375-415 ई ) के दरबार भारत आया था । 399 से 14 ई . तक उसने भारत के विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया। उसने गुप्तकालीन भारत को सामाजिक , धार्मिक और आर्थिक स्थिति का विवरण दिया ।
2. हेनसांग- हेनसांग कन्नौज के शासक हर्ष वर्धन (6000-647 ई.) के शासन काल में भारत आया। 16 वर्ष तक विभिन स्थानों की यात्रा की , 6 वर्ष तक नालन्दा विश्वविद्यालय में रहकर शिक्षा प्राप्त की। उसका यात्रा विवरण ‘ सी -यू – की ‘ नाम प्रसिद्ध है जो हर्षकालीन भारत की स्थिति जानने का महत्वपूर्ण स्रोत है
3. इत्सिंग – सातवीं शताब्दी के अन्त में भारत आने वाले इस चीनी यात्री ने नालंदा विक्रमशिला विश्वविद्यालय तथा अपने समय की भारत की स्थिति का वर्णन किया।
4. चाऊ-जू-कुआ : चोल इतिहास का विवरण|
अरबी लेखक –
1. अलबरूनी (अबूरिहान) तहकीक – ए – हिन्द (किताबुल हिय अर्थात् भारत की खोज ‘ ; कानून अल – मसूदी ) महमूद गजनवी के आक्रमण ( 1000 ई ) के समय भारत आने वाले इस अरबी विद्वान ने राजपूत कालीन भारत को वर्ण व्यवस्था , रीति – रिवाज तथा राजनीति इत्यादि का प्रशंसात्मक वर्णन किया है।
2. सलेमान : नवीं शती ईस्वी में भारत आने वाले अरबी यात्री सुलेमान ने प्रतिहार और पाल राजाओं के विषय में लिखा है। उसने पाल साम्राज्य को ‘ रूहमा ‘ ( धर्म या धर्मपाल ) कहा है ।
3. अलमसूदी : (915-916 ई.) बगदाद से आने वाले अलमसूदी ने प्रतिहार राजाओं का वर्णन किया है
उपर्युक्त लेखकों के अतिरिक्त तिब्बती लेखक तारानाथ (12 वीं शती) के ‘ कंग्यूर ‘ और ‘ तंग्यूर ‘ से भी भारतीय इतिहास पर प्रकाश पड़ता है ।
वेनिस (इटली) का प्रसिद्ध यात्री मार्कोपोलो तेरहवीं शताब्दी के अंत में पांड्य राज्य की यात्रा पर आया था , इसलिए उसका यात्रा विवरण मूलत : दक्षिण भारत से ही सम्बन्धित है।