दो स्वतन्त्र प्रकाश स्रोतों से व्यतिकरण असम्भव
(Interference is Impossible from two Independent Sources of Light)

यह एक सामान्य अनुभव की बात है कि दो स्वतन्त्र प्रकाश स्रोतों ; जैसे , दो मोमबत्तियों अथवा दो वैद्युत बल्बों से प्रकाश के व्यतिकरण की घटना पर्दे पर नहीं देखी जा सकती । इसका कारण यह है कि इन स्रोतों से चलने वाली प्रकाश तरंगों के बीच कलान्तर ( phase difference ) नियत न रहकर निरन्तर ( continuously ) बदलता रहता है । अत : एक ही बिन्दु पर प्रकाश की तीव्रता लगातार बदलती रहती है , अर्थात् हमें उस बिन्दु पर किसी क्षण तीव्र प्रकाश तथा किसी दूसरे क्षण अँधेरा दिखायी देता है । तीव्रता में यह परिवर्तन इतनी तीव्र गति ( 1 सेकण्ड में 108 बार ) से होते हैं कि दृष्टि निर्बन्धन persistence of vision ) के कारण हमारी आँखों को इसकी अनुभूति नहीं हो सकती । यदि हम पर्दे पर स्थित सभी बिन्दुओं को एक साथ देखें तब इसी कारण से हमें पर्दे पर प्रकाश की तीव्रता एकसमान ( uniform ) दिखायी देगी , अर्थात् पर्दे पर व्यतिकरण प्रारूप ( फ्रिजे ) दिखायी नहीं देंगी ।

हम जानते हैं कि प्रत्येक प्रकाश स्रोत में प्रकाश उत्पन्न करने वाले करोड़ों परमाणु होते हैं जिनसे प्रकाश यादृच्छिक ( random ) रूप में उत्सर्जित होता है । दूसरे शब्दों में , किसी क्षण पर कुछ परमाणु प्रकाश उत्सर्जित करते हैं , तो दूसरे क्षण पर कुछ अन्य परमाणु प्रकाश उत्सर्जित करते हैं । इस प्रकार प्रकाश – उत्सर्जन की प्रक्रिया चलती रहती है । हम यह भी जानते हैं कि परमाणु उत्तेजित अवस्था ( excited state ) में 10-8 सेकण्ड रहने के पश्चात् फिर अपनी मूल अवस्था ( ground state ) में लौटता है । लौटने के दौरान परमाणु प्रकाश उत्सर्जित करता है तथा उत्सर्जन क्रिया में लगभग 10-10 सेकण्ड का समय लगता है । अतः प्रत्येक परमाणु से केवल इस अल्प काल ( 10-10 सेकण्ड ) में ही प्रकाश तरंगें स्पन्दों ( pulses ) के रूप में चलती हैं । स्पष्ट है कि प्रकाश स्रोत से चली प्रकाश तरंग एक अविरत तरंग ( continuous wave ) न होकर रुक – रुककर ( intermittently ) एक के बाद एक चलने वाली अनेक स्पन्द तरंगें ( pulse waves ) होती हैं ।

हम ऊपर बता चुके हैं कि प्रकाश स्रोत से प्रकाश यादृच्छिक ( random ) रूप से उत्सर्जित होता है । दूसरे शब्दों में , प्रकाश – स्रोत का प्रत्येक परमाणु स्वतन्त्र रूप से 10-10 सेकण्ड काल ( time ) की स्पन्द तरंग उत्सर्जित करता है । समय 10-10 सेकण्ड को कालिक सम्बद्धता time coherence ) कहते हैं , क्योंकि इस समय के दौरान प्रत्येक अकेली स्पन्द के भीतर कला सम्बद्धता केवल संयोग ( chance ) पर निर्भर करती है । इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रकाश स्रोत के विभिन्न परमाणुओं से चलने वाली स्पन्द तरंगों की कलाओं ( phases ) के बीच कोई निश्चित सम्बन्ध नहीं होता । दूसरे शब्दों में , प्रकाश तरंग की प्रारम्भिक कला समय के साथ बदलती रहती है । यदि हम प्रकाश के दो स्रोत ( जैसे , दो मोमबत्तियाँ ) लें तो उनसे उत्सर्जित प्रकाश – तरयों को प्रारम्भिक कलाएँ एक – दूसरे से स्वतन्त्र रूप से बदलती रहेंगी अर्थात् उनके बीच कोई कला सम्बद्धता नहीं होगी । फलस्वरूप उनके बीच कलान्तर भी समय के साथ तेजी से बदलता रहेगा तथा हमारी आँख व्यतिकरण प्रारूप को देख नहीं सकेगी ।