नर्म लोहे एवं फौलाद के चुम्बकीय गुणों में अन्तर
(Difference between the Magnetic Properties of Soft Iron and Steel)
फौलाद की अपेक्षा नर्म लोहे की ‘ चुम्बकीय प्रवृत्ति ‘ अधिक , परन्तु धारणशीलता कम होती है ।
नर्म लोहा व फौलाद दोनों ही लौहचुम्बकीय पदार्थ हैं , परन्तु इनके चुम्बकीय गुणों में एक महत्वपूर्ण अन्तर है । इसके अध्ययन के लिए हम दो समान आकार की नर्म लोहे तथा फौलाद की छड़े लेकर उन्हें बारी – बारी से एक ऐसी परिनालिका में रखते हैं जिसमें एक नियत धारा प्रवाहित हो रही है । अब प्रत्येक छड़ के किसी एक सिरे को लोहे की छीलन से भरी प्याली में डुबोते हैं । हम देखते हैं कि नर्म लोहे की छड़ तो छीलन के काफी बड़े ढेर को उठाती है , जबकि फौलाद की छड़ अपेक्षाकृत छोटे ढेर को उठा पाती है ( चित्र 25 ) । परन्तु परिनालिका की धारा बन्द करने पर नर्म लोहे की छड़ चिपकी हुई सभी छोलन को छोड़ देती है , जबकि फौलाद की छड़ पर कुछ छीलन वहीं चिपकी रहती है ।
इससे दो तथ्यों का पता चलता है- ( i ) एक तो यह कि नर्म लोहे में फौलाद की अपेक्षा अधिक चुम्बकत्व उत्पन्न होता है । ( ii ) दूसरा यह कि नर्म लोहा अपने चुम्बकत्व को बनाए नहीं रख पाता बल्कि थोड़े ही यान्त्रिक विक्षोभ अथवा धारा को बन्द करते ही विचुम्बकित हो जाता है । अत : हम कह सकते हैं कि फौलाद की अपेक्षा नर्म लोहे की चुम्बकीय प्रवृत्ति ‘ ( magnetic susceptibility ) तो अधिक होती है , परन्तु उसकी धारणशीलता ( retentivity ) कम होती हैं ।
नर्म लोहे की धारणशीलता के कम होने का कारण यह है कि इसके परमाणुओं की क्रिस्टलीय व्यवस्था बहुत ढीली ( loose ) होती है अर्थात् इसके परमाणुओं के बीच अन्योन्य क्रियाएँ इतनी तीव्र नहीं होती कि डोमेनों को अव्यवस्थित होने से रोक सकें ।इस प्रकार नर्म लोहे की चुम्बकन तथा विचुम्बकन दोनों ही सरल हैं । इसलिए यह स्थायी चुम्बक बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है । परन्तु सभी अस्थायी चुम्बक ( temporary magnets ) नर्म लोहे को ही बनायी जाती हैं । वैद्युत चुम्बक , टेलीफोन का तनुपट , ट्रान्सफॉर्मर तथा डायनुमो की क्रोड ( cores ) नर्म लोहे की ही बनाई जाती हैं । फौलाद में क्रिस्टलीय व्यवस्था इतनी दृढ़ होती है कि इसके डोमेन एक बार सुव्यवस्थित होने के बाद आसानी से अव्यवस्थित नहीं हो पाते । इसलिए नर्म लोहे की अपेक्षा फौलाद अपने चुम्बकत्व को अधिक समय तक रख पाता है । इस प्रकार हम देखते हैं कि फौलाद का चुम्बकन व विचुम्बकन दोनों ही क्रियाएँ कठिनता से होती हैं । यही कारण है कि स्थायी चुम्बक ( permanent magnets ) फौलाद के ही बनाए जाते हैं ; जैसे – दिकसूचक , टेलीफोन , लाउडस्पीकर तथा वैद्युत मापक यन्त्र इत्यादि के स्थायी चुम्बक फौलाद के ही बनते हैं ।