धारा नियन्त्रक

 

वैद्युत परिपथ में प्रवाहित वैद्युत धारा को नियन्त्रित किया जा सकता यह एक ऐसा उपकरण है जो किसी वैद्युत परिपथ में प्रवाहित वैद्युत धारा के मान को कम अथवा अधिक करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है अत : इसके द्वारा किसी वैद्युत परिपथ में धारा के मान को नियन्त्रित किया जाता है , इसीलिए इसको धारा नियन्त्रक कहते हैं । इसको चित्र 31 में दर्शाया गया है । इसमें चीनी मिट्टी का बना एक खोखला बेलन होता है । इस पर ऑक्सीकृत नाइक्रोम का तार , जिसका विशिष्ट प्रतिरोध ताप गुणांक कम होता , लिपटा रहता है । तार के ऑक्सीकृत होने के कारण तार के फेरे एक – दूसरे । पृथक्कृत ( insulated ) होते हैं । तार के दोनों सिरे आधार पर लगे संयोजक पेंच A और B से जुड़े रहते हैं । बेलन के समान्तर तथा ऊपर की ओर धातु की एक छड़ CD लगी रहती है जिनके अनुदिश खिसकाने वाला एक विसी स्पर्शक ( sliding contact ) S लगा रहता है ।

 

विसर्पी स्पर्शक तार की कुण्डली को दाब के साथ स्पर्श करता हुआ चलता है । धारा नियन्त्रक के विसर्पी स्पर्शक के शीर्ष पर इसके पूरे तार का प्रतिरोध तथा इसमें प्रवाहित की जा सकने वाली अधिकतम धारा लिखी रहती है । धारा नियन्त्रक को किसी वैद्युत परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़कर इसके द्वारा उसमें प्रवाहित धारा के मान को कम अथवा अधिक किया जा सकता है । इसके लिए परिपथ से आने वाले एक तार को आधार में किसी एक संयोजक पेंच A अथवा B से जोड़ दिया जाता है तथा दूसरा तार छड़ CD में लगे संयोजक पेंच C से जोड़ दिया जाता है । [ चित्र 32 ( a ) तथा ( b ) ] चित्र 32 ( a ) में परिपथ में धारा नियन्त्रक के तार की Ax लम्बाई का प्रतिरोध प्रयोग में आया है तथा चित्र 32 ( b ) में परिपथ में धारा नियन्त्रक के तार की Bx लम्बाई का प्रतिरोध प्रयोग में आया है । विसपी स्पर्शक S को आगे – पीछे खिसकाकर परिपथ में प्रयुक्त प्रतिरोध का मान बदला जा सकता है ।

अत : इसके परिणामस्वरूप परिपथ में प्रवाहित धारा का मान भी बदला जाता है । इस उपकरण को वैद्युत परिपथों में चित्र 32 ( c ) में प्रदर्शित प्रतीक चिह्न द्वारा प्रदर्शित करते हैं ।